एलर्जी, दमा और चर्म रोग पैदा करती है गाजर घास


सानू सिंह चौहान कवरेज इंडिया।
शाहजहांपुर। हरियाली किसे नहीं भाती लेकिन आज हमारे चारों ओर एक जहरीली हरियाली ने अपने पैर पसार लिए हैं, जो हमारे और जीव-जन्तुओं, सभी के लिए हानिकारक है। ऐसे जहरीले पौधों के विनाश के लिए शपथ लेकर पर्यावरण के प्रति जागरूक बच्चों की एक टोली निकल चुकी है। पूर्व माध्यमिक विद्यालय अकर्रा रसूलपुर की मीना मंच की बालिकाओं द्वारा भारत के स्वच्छता अभियान के तहत इन जहरीले पौधों का उन्मूलन शुरू कर दिया गया है। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका और मीना मंच एक्टीविस्ट रूफिया खान ने बताया कि गाजर घास, कांग्रेस घास या चटक चाँदनी आदि नामों से जाना जाने वाला कम्पोजिटी कुल का सदस्य है, जिसका वानस्पतिक नाम पार्थेंनीयम हिस्ट्रोफोरस है। यह विश्व के सात सर्वाधिक हानिकारक पौधों में से एक है तथा इसे मानव एवं पालतू जानवरों के स्वास्थ्य के साथ-साथ सम्पूर्ण पर्यावरण के लिये अत्यधिक हानिकारक माना जा रहा है। गाजर घास उन्मूलन अभियान के तहत मीना बालिकाओं द्वारा विद्यालय परिसर और विद्यालय के आसपास इन जहरीले पौधों को जड़ से उखाड़ कर नष्ट किया गया।
 उन्होंने अभियान से सम्बद्ध बालिकाओं को बताया कि गाजर घास जब एक स्थान पर जम जाती है, तो अपने आस-पास किसी अन्य पौधे को जमने नहीं देती है, जिस कारण अनेक महत्त्वपूर्ण जड़ी-बूटियों और चरागाहों के नष्ट हो जानें की सम्भावना पैदा हो गई है। आज स्थिति यह है कि सड़क किनारे और रेलवे लाइनों के आसपास, खाली पड़े भवनों के साथ चरागाहों को पूरी तरह ढक लिया है और खाली पड़े मैदान अपनी चपेट में ले लिये हैं। उन्होंने बताया कि इसकी पत्तियों के काले छोटे-छोटे रोमों में पाया जाने वाला रासायनिक पदार्थ ‘पार्थिनम’ मनुष्यों में एलर्जी का मुख्य कारण है। दमा, खाँसी, बुखार व त्वचा के रोगों का कारण भी यही रसायन है। गाजर घास के परागकण सांस की बीमारी का भी कारण बनते हैं। पशुओं के लिये भी यह घास अत्यन्त हानिकारण सिद्ध हो रही है। यदि दुधारू पशु इसे खाते हैं, उनका दूध कड़वा एवं मात्रा में कम हो जाता है, ऐसा दूध मनुष्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। अतः इस विषाक्त वनस्पति का धरती से सफाया किया जाना बहुत ज़रूरी है।

Post a Comment

Previous Post Next Post