गर्मी, ठंड और बारिश के दिनों में भी अनवरत प्रत्येक रविवार चलती है 'रविवार की रसोई'

 


प्रयागराज। 'मदद फाऊंडेशन' के संस्थापक मंगला प्रसाद तिवारी प्रयागराज की सड़को पर अनाथ, गरीब- असहाय एवं निराश्रित व्यक्तियों और उनके परिवारों तक दो जून का निवाला पहुंचाने को स्पत्नीक शिद्दत से लगे हुए हैं। बच्चों के साथ  धर्मपत्नी अमृता तिवारी तथा पूरी  टीम इस कार्य को मिशन के रूप में संचालित कर रहे हैं। वह ऐसे खुद्दार हैं जो निराश्रितों की सेवा में प्रत्येक माह अपनी कमाई का दस प्रतिशत बेसहारा और निःशक्त लोगों पर खर्च  कर रहे हैं।

               

इस तन झुलसाते लू के थपेड़ों और दिनोंदिन चढ़ते पारे के साथ बेरहम होती गर्मी में प्रयागराज की सड़कों, गली- मोहल्ले और  मलिन बस्तियों में घूम- घूम कर डिब्बाबंद भोजन और पानी की बॉटल वितरण के साथ उनके स्वास्थ्य की जानकारी और यथासंभव उपचार हेतु मदद करने का काम भी  प्रयागराज की यह 'मदद फाउंडेशन' संस्था कर रही है। इसके संस्थापक मंगला प्रसाद तिवारी एवं उनकी धर्मपत्नी अमृता तिवारी व टीम प्रत्येक इतवार के दिन 'रविवार की रसोई' चलाकर करीब 50 जरूरतमंद एवं असहाय लोगों तक राहत सामग्री के रूप में भोजन का पैकेट और  पानी वितरित कर रहे हैं। 


मंगला प्रसाद तिवारी बताते हैं कि हम प्रत्येक माह एक लक्ष्य लेकर चलते हैं कि कम से कम 200 लोगों को भोजन वितरित कर सकें। इस कार्य के लिए हम प्रत्येक माह अपनी ब्यक्तिगत आय का 10 प्रतिशत  हिस्सा इस कार्य के निमित्त लगाते हैं। शुद्धता से कोई समझौता न हो इसलिए भोजन सामग्री बच्चों के सहयोग से धर्मपत्नी के साथ खुद घर पर ही  तैयार करते हैं। खास बात यह कि प्रत्येक रविवार मीनू बदल दिया जाता है। श्री तिवारी बताते हैं कि उन्हें कहीं से कोई अनुदान नहीं मिलता और वह अपनी कमाई का 10 प्रतिशत हिस्सा इस कार्य में लगाते हैं इसलिए हर बार कोशिश यही रहती है कि एक- एक पैकेट ऐसे जरूरतमंद परिवार या व्यक्ति का निवाला बने जिसको वास्तव में दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो रही है। 


वह पति-पत्नी टीम के साथ पूरे शहर में ऐसे लोगों को ढूंढ- ढूंढ कर भोजन पैकेट उपलब्ध कराते हैं। गौरतलब है कि मदद फाउंडेशन द्वारा प्रत्येक ठंड के मौसम में गरीब असहाय एवं जरूरतमंदों के बीच 'सर्दी के सिपाही' अभियान चलाकर कपड़े, जूते, चप्पल, स्वेटर, जैकेट इत्यादि जरुरतमंद लोगों के बीच वितरण किया जाता है। इस कार्य के लिए यह संस्था बकायदा लोगों का आह्वान  करके उनके पुराने कपड़े, जूते, चप्पल, स्वेटर, जैकेट इत्यादि एकत्रित करती है और फिर उन्हें जरूरतमंदों तक पहुंचाने का काम किया जाता है।

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